Definition, Constitutional Law, Evolution, Composition and Other Countries of Indian Constitution|भारतीय संविधान की परिभाषा, संवैधानिक विधि, क्रमिक विकास,रचना एवं अन्‍य देश

                                            

Definition, Constitutional Law, Evolution, Composition and Other Countries of Indian Constitution

भारतीय संविधान की परिभाषा, संवैधानिक विधि, क्रमिक विकास,रचना एवं अन्‍य देश

संविधान की परिभाषा संविधान से तात्‍पर्य ऐसे दस्‍तावेजों से है, जिसकी एक विशिष्‍ट विधिक पवित्रता होती है, जो राज्‍य सरकार के अंगो ( कार्यपा‍लिका, विधायिका और न्‍यायपालिका) के ढॉचे को और उनके प्रमुख कार्यो को निर्दिष्‍ट करता है और अंगो के संचालन के लिए मार्ग दर्शक सिध्‍दांतों को विहित करता है।

संवैधानिक विधि संवैधानिक विधि की कोई निश्चित परिभाषा नही है। सामान्‍यत: इस शब्‍द का प्रयोग ऐसे नियमों के लिए किया जाता है, जो सरकार के प्रमुख अंगों की संरचना उनके पारस्‍परिक संबंधें और प्रमुख कार्यो को विनियमित करते है।

विधिक अर्थ में ये नियम दोनो प्रकार के होते है। कठोर विधि नियम और प्रथाऐ जिन्‍हे सामान्‍यत: अभिमत कहा जाता है जो अधिनियमित नही होती है किन्‍तु सरकार से संबंधित सभी व्‍यक्तियों पर बाध्‍यकारी है । ये ऐसे अनेक नियम और प्रथाऐ है जिनके अनुसार हमारी सरकार की प्रणाली का संचालन किया जाता है।


                        
                                        भारतीय संविधान का क्रमिक विकास 

                     किसी भी देश का संविधान एक दिन की उपज नही होता है। संविधान एक ऐतिहासिक विकास का परिणाम होता है। भारत में सांविधानिक परम्‍परा का विकास अंग्रेजों के भारत में आगमन के समय से ह हुआ हैा आधुनिक राजनीतिक संस्‍थाओ का उद्गम एवं विकास का काल 1600 ई. से प्रारम्‍भ होता है। अग्रेजो के आगमन से लेकर आज तक के भारतीय संविधान के क्रमिक विकास को 05 भागों में विभाजित किया गया है-

1.                                  1600 से 1786 – अंग्रजों का भारत आगमन

2.                                  1765 से 1858 – ब्रिटिस साम्राज्‍य की स्‍थापना

3.                                  1858 से 1919 – कम्‍पनी शासन का अंत

4.                                  1919 से 1947 – स्‍वशासन का आरम्‍भ

5.                1947 से 1950 – संविधान की रचना

क्रमिक विकास के लिये प्रथृक से पोस्‍ट बनायी गयी है। 



संविधान की रचना –

          कैबिनेट योजना के (अंतर्गत ) अनुसार नवम्‍बर 1946 को संविधान सभा के सदस्‍यों का चुनाव किया गया । जिसमें निम्‍न सदस्‍य की संख्‍या थी –

                               कुल सदस्‍य - 296

                           कांग्रेस सदस्‍य – 211

                             मुस्लिम लीग – 73

                           शेष स्‍थान खाली रहे।


·       संविधान सभा की प्रथम बैठक – 09 दिसम्‍बर 1946 ।

·       देश का विभाजन – 03 जून 1947

अगस्‍त 1947 में स्‍वतन्‍त्रता अधिनियम पारित होने पर वे सभी परिसीमाओं भी समाप्‍त हो गयी जो कैबिनेट प्रतिनिध मंडल द्वारा संविधान सभा पर लगाई गई है।

·       इन अनिश्चिताओं की स्थिति के बावजूद डॉ. भीमराव अम्‍बेडकर की अध्‍यक्षता में गठित प्रारूप समिति ने संविधान सभा में संविधान का प्रारूप प्रस्‍तुत किया।

·       संविधान सभा के प्रारूप पर 08 महीने बहस हुई।

·       संविधान सभा के 11 अधिवेशन हुए।

·       02 वर्ष 11 महीने 18 दिन में दिनांक 26 नवम्‍बर 1949 तक संविधान का निर्माण कार्य पूरा किया गया।

·       संविधान के कुछ उपबंधों का 26 नवम्‍बर 1949 को प्रवृत्‍त किया गया और शेष उपबंधों को 26 नवम्‍बर 1950 को प्रवृत्‍त हुएा जिसे संविधान की प्रवृत्‍त तारीख कहा जाता है।

 

मूल संविधान एवं वर्तमान

मूल संविधान में कुल 395 अनुच्‍छेद, 22 भाग और 08 अनुसूचियां थी। वर्ष 1951 में कई अनुच्‍छेदों एवं भागों को संविधान में जोडा गया है एवं अनुच्‍छेदों को निरस्‍त किया गया, यघपि संविधान में अंतिम अनुच्‍छेदों की संख्‍या 395 अंतिम भाग 22 और अनुसुचियां 12 है।

वर्तमान में 448 अनुच्‍छेद, 25 भाग और 12 अनुसचियां है।

सात वर्ष की केंद्र सरकार ने कश्मीर से धारा 370 को हटाया है, देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए नई शिक्षा नीति लागू की है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भव्य राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया है, 105वां संविधान संशोधन कर प्रदेश सरकारों को पिछड़ी जातियों के चयन का अधिकार दिया है।

 

भारतीय संविधान एवं अन्‍य देश 

मूल अधिकार अमेरिका के संविधान से ।

संसदीय प्रणाली – ब्रिटेन के संविधान से ।

आपात कालीन उपबंध – जर्मनी के संविधान से ।

दक्षिण अफ्रीका -भारतीय संविधान में संविधान संशोधन की प्रक्रिया संबंधी प्रावधान

राज्‍य के नीति निर्देशक तत्‍व आयरलैण्‍ड के संविधान से ।

ऑस्ट्रेलिया - भारतीय संविधान की प्रस्तावना की भाषा, समवर्ती सूची आदि

कनाडा - भारतीय संविधान में संघीय शासन व्यवस्था के प्रावधान

सोवियत संघ - भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों के प्रावधान, मूल कर्तव्यों

जापान - भारतीय संविधान में विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया

फ्रांस - भारतीय संविधान में गणतंत्रात्मक

 

 

संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)

भारतीय संविधान में संविधान की सर्वोच्चता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निर्वाचित राष्ट्रपति एवं उस पर महाभियोग, उपराष्ट्रपति, उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हटाने की विधि एवं अनुच्छेद-360 के तहत वित्तीय आपातकाल, मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरावलोकन की व्यवस्था को दुनिया के सबसे पुराने लोकतांत्रिक देश अमेरिका के संविधान से लिया गया है। 


ब्रिटेन (Britain)

भारत की संसदीय शासन प्रणाली ब्रिटेन से प्रेरित है। साथ ही संविधान में एकल नागरिकता, कानून निर्माण प्रक्रिया, विधि का शासन, मंत्रिमंडल प्रणाली, न्यायालय के विशेषाधिकार, संसदीय विशेषाधिकार और द्वि-सदनवाद को ब्रिटिश संविधान से लिया गया है। एकल नागरिकता के तहत भारतीय नागरिक किसी दूसरे देश की नागरिकता नहीं ले सकता है। 



जर्मनी (Germany)

भारत के संविधान में आपातकाल के समय के अधिकारों के संबंध में प्रावधान यूरोपीय देश जर्मनी के संविधान से लिए गए हैं। इसमें आपातकाल के दौरान राष्ट्रपति के पास मौलिक अधिकार के निलंबन संबंधी शक्तियां हैं। आपातकाल के समय मूलभूत अधिकारों में सरकार बदलाव कर सकती है। हालांकि, भारतीय संविधान में आपात उपबंधों को तीन भागों में बांटा गया है। इनमें अनुच्छेद-352 के तहत राष्ट्रीय आपात स्थिति, अनुच्छेद-356 के तहत राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता या राष्ट्रपति शासन की स्थिति और अनुच्छेद-360 के तहत वित्तीय आपात स्थिति के प्रावधान हैं।


दक्षिण अफ्रीका (South Africa)

भारतीय संविधान में संविधान संशोधन की प्रक्रिया संबंधी प्रावधान, राज्यसभा में सदस्यों का निर्वाचन प्रणाली आदि दक्षिण अफ्रीका के संविधान से लिए गए हैं। राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल छह वर्ष का होता है। विभिन्न राज्य विधानसभाओं में चुने गए विधायक अपने राज्य से राज्य सभा सदस्यों के निर्वाचन के लिए मतदान करते हैं। 



आयरलैंड (Ireland)

भारतीय संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्व, राष्ट्रपति के निर्वाचक-मंडल की व्यवस्था, राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा में 12 सदस्यों का मनोनयन (साहित्य, कला, विज्ञान तथा सामाजिक सेवा आदि के क्षेत्र से सम्मानित व्यक्ति) जैसे प्रावधान आयरलैंड के संविधान से लिए गए है। भारतीय संविधान के भाग- 4 में शामिल राज्य के नीति निर्देशक तत्व संविधान को अनोखी विशिष्टता प्रदान करते हैं। अनुच्छेद-37 यह घोषणा करता है कि निर्देशक तत्व देश के शासन के मूल आधार हैं और कानून के निर्माण में इन सिद्धांतों को लागू करना राज्य का कर्तव्य होगा। 


ऑस्ट्रेलिया (Australia)

भारतीय संविधान की प्रस्तावना की भाषा, समवर्ती सूची का प्रावधान, केंद्र एवं राज्य के बीच संबंध तथा शक्तियों का विभाजन, व्यापार-वाणिज्य और संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक आदि व्यवस्थाओं को ऑस्ट्रेलिया के संविधान से लेकर भारतीय संविधान में जोड़ा गया है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना में केवल एक ही बार संशोधन हुआ है। 1976 में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम के माध्यम से इसमें संशोधन कर तीन नए शब्द समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता जोड़े गए थे। 

कनाडा (Canada)

भारतीय संविधान में संघीय शासन व्यवस्था के प्रावधान, केंद्र के अधीन अतिविशिष्ट शक्तियां, केंद्र द्वारा राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति और राष्ट्रपति का उच्चतम न्यायालय से परामर्श प्राप्त करने की व्यवस्था, यूनियन ऑफ स्टे्टस शब्द की अवधारणा आदि कनाडा के संविधान से लिए गए हैं। 




सोवियत संघ (Soviet Union)

भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों के प्रावधान, मूल कर्तव्यों और प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का आदर्श तत्कालीन सोवियत संघ यानी रूस के संविधान से लिए गए हैं। भारतीय संविधान की एक प्रमुख विशेषता यह भी है कि यह नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को संतुलित करता है। आपातकाल के दौरान भारतीय संविधान के भाग 4-ए में 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 के माध्यम से मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा गया था।


जापान (Japan)

भारतीय संविधान में विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया को जापान से लिया गया है। भारतीय संविधान विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया का समावेश करके संसदीय संप्रभुता और न्यायिक सर्वोच्चता के स्वस्थ समन्वय को अपनाता है। विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया वह प्रक्रिया है जिसमें यदि संसद प्रक्रिया के तहत कोई कानून बनाएं फिर वह कानून भले ही उचित हो या न हो, लागू होने के बाद मान्य होगा। हालांकि, संविधान में अनुच्छेद-21 की व्यापकता के अंतर्गत न्यायपालिका के कई मसलों पर विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया पर सम्यक प्रक्रिया यानी उसे कानून चुनौती देने को सर्वोच्चता दी है। 


फ्रांस (France)

भारतीय संविधान में गणतंत्रात्मक और प्रस्तावना में स्वतंत्रता, समता, बंधुता के आदर्श का सिद्धांत फ्रांस से लिया गया है। गौरतलब है कि भारतीय संविधान में इन तीनों को लोकतंत्र की आत्मा के तौर पर परिभाषित किया गया है। इनके बिना किसी स्वतंत्रता की कप्लना नहीं की जा सकती। 


 


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